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Delhi Elections 2025: सार्वजनिक परिवहन सेवा को प्राथमिकता, प्रदूषण और यातायात समस्या का समाधान

Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सार्वजनिक परिवहन सेवा एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है। यह न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा। दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक वाहन का धुआं है, इसलिए यह जोर दिया जा रहा है कि सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत किया जाए, ताकि सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या को घटाया जा सके। हालांकि, इस दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहे हैं।

चुनावों में परिवहन सेवा सुधार का वादा, लेकिन स्थिति जस की तस

हर विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल यह वादा करते हैं कि वे परिवहन सेवा को सुधारेंगे, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया। मौजूदा स्थिति यह है कि दिल्ली की सड़कों पर जितनी नई बसें आ रही हैं, उससे कहीं अधिक बसें सड़कों से हटा दी जा रही हैं। इसके बावजूद, सार्वजनिक बस सेवा की कमी पूरी नहीं हो पा रही है।

दिल्ली के यातायात पर प्रभाव

इसका परिणाम यह हो रहा है कि पुरानी बसें भी सड़कों पर दौड़ रही हैं, जो अक्सर रास्ते में खराब हो जाती हैं। बसों की कमी का असर दिल्ली के यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा है। कम बसों के कारण लोग निजी वाहनों का सहारा ले रहे हैं, जिससे सड़कें जाम हो रही हैं और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

AAP की इलेक्ट्रिक बस अभियान को झटका

दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि अगले साल तक बसों का बेड़ा 10,000 तक पहुंच जाए, लेकिन परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफा देने के बाद, आगामी इलेक्ट्रिक बस अभियान को बड़ा झटका लगा है। 30 जुलाई के बाद से एक भी नई इलेक्ट्रिक बस बेड़े में नहीं जोड़ी गई है। इससे सरकार की योजना पर प्रभाव पड़ा है और आगामी चुनावों में यह मुद्दा और भी तूल पकड़ सकता है।

Delhi Elections 2025: सार्वजनिक परिवहन सेवा को प्राथमिकता, प्रदूषण और यातायात समस्या का समाधान

इस साल 225 बसें हटा दी गईं

दिल्ली सरकार के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर तक 394 DTC बसों को सड़कों से हटाने की प्रक्रिया तेज़ की जाएगी। इस साल अब तक 225 बसें हटा दी गई हैं, यानी इस साल अब तक कुल 619 DTC बसें हटाई जा चुकी हैं। अगले साल 2025 में दिल्ली से 2,000 से अधिक DTC बसें हटाई जाएंगी और 2026 तक यह आंकड़ा 3,775 बसों तक पहुंचने का अनुमान है। इस स्थिति में, दिल्लीवासी यह उम्मीद कर रहे हैं कि कब उनके पास पर्याप्त बसें होंगी और वे समय पर उपलब्ध होंगी।

बीजेपी और AAP के बीच राजनीति

दिल्ली में बसों की उपलब्धता को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीति तेज़ हो गई है। बीजेपी पिछले 10 वर्षों से AAP सरकार को इस मुद्दे पर घेरती रही है। बीजेपी का आरोप है कि AAP सरकार ने दिल्ली में पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं कराई हैं। वहीं, AAP का कहना है कि भाजपा के नेता दिल्ली सरकार के कामकाज में अड़चन डालने के लिए उपराज्यपाल (LG) का सहारा लेते हैं।

चार साल पहले, दिल्ली सरकार ने 1,000 CNG बसों की खरीद को रोक दिया था, जब बीजेपी ने इन बसों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि इन बसों के रखरखाव का खर्च, बसों की कीमत से चार गुना अधिक था। इसके बाद, LG ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी और बसों के टेंडर को रद्द कर दिया।

सड़क पर रोज़ाना 500 बसें खराब

दिल्ली में बसों की इतनी कमी हो गई है कि न केवल दिल्ली बल्कि एनसीआर के कई रूटों पर भी बसें घट गई हैं। लोगों का विश्वास बसों में यात्रा करने पर कम हो गया है, क्योंकि वे यह नहीं जानते कि क्या बस समय पर पहुंचेगी या रास्ते में खराब हो जाएगी। दिल्ली की स्थिति यह है कि औसतन रोज़ाना 500 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं, क्योंकि ज्यादातर बसें पुरानी हो चुकी हैं।

दिल्ली सरकार की नई योजना: इलेक्ट्रिक बसें

अब उम्मीद जताई जा रही है कि स्थिति आने वाले वर्षों में सुधरेगी, क्योंकि दिल्ली सरकार ने अब सभी बसों को इलेक्ट्रिक बनाने का फैसला लिया है। यह पहला मौका है जब दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की अधिकांश लो-फ्लोर CNG बसें ऑपरेशनल लिमिट को पार कर चुकी हैं। DTC के मुताबिक, किसी भी लो-फ्लोर CNG बस की अधिकतम ऑपरेशनल लाइफ आठ साल या 7.5 लाख किलोमीटर निर्धारित है।

पुरानी बसों का तेजी से हटाया जाना, नई बसों का धीमा आना

नई बसों की संख्या पुरानी बसों के हटाए जाने की गति से नहीं बढ़ रही है। इससे दिल्ली सरकार के लिए चुनावी साल में सार्वजनिक परिवहन सेवा को पर्याप्त बनाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। हालांकि, सरकार का दावा है कि अगले साल तक दिल्ली के पास 10,000 बसें होंगी, जिनमें से 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक होंगी।

सरकार के मुताबिक, 1,080 मोहल्ला बसें जल्द ही सड़कों पर उतरेंगी। इनमें से 150 बसें दिल्ली पहुंच चुकी हैं और मुख्यमंत्री अतीशी ने इन बसों का निरीक्षण भी किया है, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ये बसें कब सड़कों पर उतरेंगी। वर्तमान में दिल्ली में 4,536 DTC बसें सड़कों पर हैं, जिनमें से 2,966 CNG और 1,570 इलेक्ट्रिक बसें हैं।

दिल्ली की बसों की वास्तविक स्थिति

दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (DIMTS) 3,147 बसों का संचालन कर रहा है, जिसमें 2,747 CNG और 400 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं। यदि दोनों बेड़ों को जोड़ें, तो दिल्ली सरकार के पास कुल 7,683 बसें हैं। जबकि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन सेवा की आवश्यकता 11,000 बसों की है।

दिल्ली चुनाव 2025 में सार्वजनिक परिवहन सेवा एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन सकता है। दिल्ली सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह जल्द से जल्द पर्याप्त और समय पर बस सेवा प्रदान करे, ताकि लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रेरित हो सकें। अगर सरकार इस दिशा में तेजी से कदम नहीं उठाती, तो यह चुनावी मुकाबले में एक बड़ा सवाल बन सकता है।

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